राजनीतिक संवाददाता द्वारा
रांची. झारखंड में राजनीतिक हलचल का असर दिखने लगा है. प्रदेश की राजनीति में जारी संशय के बीच झारखंड मंत्रालय में फाइलों की रफ्तार पर ब्रेक लग गई है. मंत्रालय में हर तरफ सन्नाटा देखने को मिल रहा है. कर्मचारी से लेकर सचिव स्तर के अधिकारी की अनुपस्थिति ने भविष्य की राजनीति की चिंता बढ़ा दी है. झारखंड मंत्रालय में इन दिनों पहले वाली वो रौनक देखने को नहीं मिल रही है ना ही कैबिनेट मंत्रियों का वो लाव-लश्कर दिख रहा है और ना ही अधिकारियों के सफेद गाड़ियों का वो काफिला.
हर तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा पसरा है. सरकारी फाइलों की रफ्तार भी पूरी तरह से थम गई है. मतलब सरकारी योजनाओं की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है. ये वर्तमान राजनीतिक हालात का असर है. हर एक दफ्तर में फाइलों का अंबार लगने का सिलसिला शुरू हो चुका है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिलहाल बीजेपी के निशाने पर हैं. हर दिन राजनीतिक गलियारों में बीजेपी के द्वारा कोई ना कोई नया शिगूफा छोड़ा जा रहा है. वैसे सत्ता पक्ष भी बीजेपी को जवाब देने में कही से पीछे नहीं.
बीजेपी के खुलासों के बाद से ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर एक षड्यंत्र के तहत राज्य के विकास को प्रभावित करने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि जानबूझ कर अधिकारियों के बीच सरकार जाने को लेकर माहौल बनाया जा रहा है, जिससे सरकारी फाइलों की रफ्तार धीमी पड़ गई है.
मुख्य विपक्षी दल बीजेपी के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू का कहना है कि अगर मंत्रालय में सन्नाटा पसरा है तो इसके लिए राज्य सरकार जवाबदेह है. जब पैसे के दम पर अधिकारियों का तबादला और पोस्टिंग होगी तब अधिकारी कैसे सरकार की सुनेंगे. झारखंड में हमेशा से ही अधिकारियों के क्रिया कलाप को लेकर सवाल उठते रहे हैं. फिलहाल सरकारी फाइलों पर अधिकारियों के कलम नहीं चल रहे हैं. अधिकारी भी मौजूदा राजनीतिक तापमान को मापने में लगे हैं, लेकिन इस बीच राज्य का विकास प्रभावित हो रहा है.